Yashasvi Jaiswal: कभी पेट भरने के लिए बेचीं पानी पूरी, झोपड़ पट्टी में रहे… कई रात भूखे सोये, अब IPL के बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भी मचाया तहलका

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Yashasvi Jaiswal. इस समय सोशल मिडिया पर सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बने हुए है. क्योकि इन्होने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में ही तूफानी शतक जड़ कई बड़े रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए है और सभी को दिखा दिया है की वो भी लम्बी रेस के घोड़े है. वही, तमाम क्रिकेट पंडित भी यशस्वी जायसवाल की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे है और भारत का भविष्य बता रहे है.

इसी के चलते आज हम आपको यशस्वी जायसवाल के संघर्ष की कहानी आपको बताने वाले है की कैसे उन्हें कई रात भूखे पेट सोना पड़ता था. रहने के लिए खुद का एक अच्छा सा कमरा भी नहीं था. यहाँ तक की पेट भरने के लिए भी मुंबई की सड़को पर पानीपूरी बेचनी पड़ी और इसके बाद क्रिकेट में मेहनत कर ये मुकाम हासिल किया. तो चलिए जानते है..

सबसे पहले आपको बता दे की यशस्वी जायसवाल मूल रूप से यूपी के भदोही की रहने वाले है, लेकिन क्रिकेट के प्रति लगाव के चलते क्रिकेट की बारीकियां सिखने के लिए यशस्वी शुरुआत में ही मुंबई चले गये थे. मगर इनके लिए ये बिलकुल भी आसान नहीं था. क्योकि यशस्वी महज 11 साल की उम्र में मुंबई चले गये थे.

3 साल तक टेंट में रहे:-

अब चूँकि इनके पास इतने पैसे नहीं थे की ये खुद का रूम ले सके. वही इनके पिता जी भी एक छोटी सी दुकान चलाते थे. बताया जाता है की मुंबई के वर्ली में इनके कोई मिलने वाले अंकल रहते थे, लेकिन वो भी किराए पर रहते थे और उनका कमरा भी काफी छोटा था. लेकिन हां, संतोष वहां मुस्लिम यूनाइटेड क्लब में मैनेजर थे तब उन्होंने मालिक से बात की जिसके बाद यशस्वी करीब 3 साल तक वही टेंट में रहे थे. इसके बाद कुछ लोगो ने इन्हें यहाँ से भी भगा दिया था.

इसके बाद मज़बूरी में मजबूरी में मैं काल्बादेवी डेयरी में सोया. इसके बाद आज़ाद मैदान में होने वाली राम लीला में वह पानीपुरी बेचता है और फलों बेचने में मदद करता है. लेकिन, ऐसी कई रात आई, जब जिस ग्राउंड्समैन के साथ वह रहता था, उससे उसकी लड़ाई हो गई और उसे भूखा ही सोना पड़ा था.

लेकिन आज यशस्वी जायसवाल के पास किसी चीज की कमी नहीं है. आज यशस्वी के पास पैसे के साथ साथ क्रिकेट की दुनिया में अपना नाम भी है. देशभर से फैंस का खूब प्यार भी मिल रहा है.

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