युवराज-अश्विन समेत क्रिकेट के 5 महारथी जिन्होंने फील्ड पर विपक्षी टीमों को लंबे समय तक रौंदा, लेकिन राजनीति के कारण कभी नहीं बन सके Team India के कप्तान

भारतीय क्रिकेट टीम के 91 वर्ष के लंबे इतिहास में एक से बढ़कर एक प्लेयर्स हुए। जिनके अंदर अलग-अलग काबिलियत थी। जाहिर है कि इनमें से सैकड़ों खिलाड़ी टीम का कप्तान बनने की ख्वाहिश भी रखते होंगे। पर इनमें से चंद गिने चुने क्रिकेटर ही Team India का लीडर बन पाने में सफल रहे। जबकि कई खिलाड़ी ऐसे भी रहे जो वाकई में काबिल थे और कप्तान बनने के हक़दार भी, परंतु उन्हें यह मौका कभी प्रदान न किया गया। आज हम ऐसे ही 5 खिलाड़ियों पर नजर डालेंगे, जो विपक्षियों को लंबे अंतराल तक धूल चटाते रहे लेकिन बात जब उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने की आई तो उन्हें अधिकारियों और चयनकर्ताओं द्वारा नजरअंदाज एवं निराश किया गया।

1. रविचंद्रन अश्विन

भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने वाला दूसरा सबसे सफल गेंदबाज, जिसने अपनी गेंदबाजी के दम पर लंबे समय तक विरोधियों को नाकों चने चबवाए। पर इस खिलाड़ी को कभी कप्तान के विकल्प के रूप में नहीं देखा गया। कप्तानी तो छोड़िए जब कुछ दिनों पहले टीम इंडिया वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाईनल ऑस्ट्रेलिया के संग खेली तब इन्हें प्लेईंग 11 में लेना भी उचित नहीं समझा गया। जिसका खामियाजा टीम को भुगतना पड़ा।

2. वीवीएस लक्ष्मण

एक वक़्त था जब ऑस्ट्रेलियन टीम अपने प्राइम पर थी। उस दौरान अच्छे-अच्छे क्रिकेटर्स कंगारुओं से खौफ खाते थे। पर टीम इंडिया के इस स्टाइलिश बल्लेबाज का रिकॉर्ड कंगारुओं के खिलाफ ही सबसे बेहतर था। इसके अलावा भी लक्ष्मण ने कई मौकों पर टीम इंडिया को संकट से बाहर निकाला। लेकिन इन कारनामों के बावजूद कभी भी लक्ष्मण को टीम का कप्तान बनाने की बात किसी पद पर बैठे बुद्धिजीवियों को महत्वपूर्ण न लगी।

3. जहीर खान

बहुत कम ऐसे मौके आए हैं जब टीम इंडिया की कमान किसी गेंदबाज के हाथों में दी गई हो। फिर वो गेंदबाज चाहे जहीर खान ही क्यों न हों। इस प्लेयर को भारत के सबसे सफल तेज गेंदबाजों में से एक माना जाता है। 2011 विश्वकप जीतने में भी इस गेंदबाज का बहुमूल्य योगदान रहा। लेकिन जहीर खान को टीम का लीडर बनाने की चर्चा कभी चलाई नहीं गई। वो बात अलग है कि इस खिलाड़ी ने 303 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलते हुए 597 बल्लेबाजों का शिकार किया।

4. हरभजन सिंह

टीम इंडिया का दूसरा सबसे सफल बॉलर, जिन्होंने 1998 में अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की यात्रा को शुरू किया और 2016 तक 707 विकेट अपने नाम किए। इनमें योग्यता थी पर इन्हें कप्तानी के योग्य चयनकर्ताओं ने कभी समझा ही नहीं। भज्जी जरुरत पड़ने पर बल्लेबाजी से भी टीम को संभाला करते थे और अक्सर अपने साथियों के पीछे भी मजबूती से खड़े दिखाई देते। अब भला कप्तान बनने के लिए और कौन कौन सी योग्यताएं जरुरी होती हैं जो इस फिरकी गेंदबाज में नहीं थी।

5. युवराज सिंह

एक ऐसा खिलाड़ी जिसकी बदौलत टीम इंडिया को 2007 टी20 विश्वकप और 2011 विश्वकप में ट्रॉफी उठाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। एक ऐसा चैंपियन जिसने कैंसर जैसी बीमारी को जूते की नोक पर रखते हुए अपने देश का नाम ऊँचा किया। जिसने 399 मैच अपने देश के लिए खेले परंतु इस दौरान उसे कभी कप्तान नहीं बनाया गया। यदि युवराज किसी अन्य देश के लिए क्रिकेट खेलते तो संभवतः उनसे ज्यादा प्राथमिकता और किसी को नहीं मिलती।

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